स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँउमेश पाण्डे
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य रूप से जानी वाली कई जड़ी बूटियों में कैसे-कैसे विशेष गुण छिपे हैं?
मदन मस्त
मदन मस्त के विभिन्न नाम
हिन्दी में- जंगली मदन मस्त का फूल, गुजराती में- मदनी, अंग्रेजी में- Cycas Tree (सायकस ट्री) लेटिन में - Cycas circinalis (सायकस सरसीनेलिस)
मदन मस्त का संक्षिप्त परिचय
यह पौधा खजूर के समान दिखाई देता है किन्तु इसकी ऊँचाई अधिक नहीं होती।यह धीरे-धीरे वृद्धि करता है। इसके तने की ऊँचाई सायकस रिवालूटा की तुलना में अधिक होती है। इसका तना खजूर के समान ही काष्ठीय होता है। इसके ऊपर पतियों के टूटने के निशान बने होते हैं। पत्तियां शीर्ष पर मुकुट बनाकर लगी होती हैं। प्रत्येक पत्ती में एक लम्बी डण्डी पर्णिकायें लगी होती हैं। ये पर्णिकायें सायकस रिवालूटा की तुलना में कुछ अधिक चौड़ी और लम्बी होती हैं, साथ ही जिस डण्डी पर ये पर्णिकायें लगती हैं वह डंडियां भी सायकस रिवालूटा की तुलना में काफी लम्बी होती हैं। प्रत्येक पर्णिका में एक मोटी मध्य शिरा होती है। इसकी जड़ें जमीन में गहरी होती हैं। यह पौधा काफी मजबूत होता है। इसमें नर तथा मादा अलग-अलग होते हैं। दोनों ही प्रकार के पौधों के सिरों पर विशेष प्रकार की रचनायें विकसित होती हैं जिन्हें कोन (cones) कहते हैं।
मदन मस्त का ज्योतिषीय महत्त्व
अनेक व्यक्तियों की पत्रिका में राहू तथा केतु के बीच जब सारे ग्रह आ जाते हैं तब यह योग कालसर्प दोष कहलाता है। जिस जातक की पत्रिका में यह दोष होता है वह अनेक प्रकार की परेशानियों से समय-समय पर घिरता रहता है। उसके कार्यों में अनेक प्रकार की बाधायें खड़ी होती रहती हैं। इस दोष के निवारणार्थ सम्बन्धित व्यक्ति को सायकस के पौधे पर नित्य जल अर्पित करना चाहिये। इसी प्रकार इसकी मेगास्पोरोफील प्राप्त हो जाने पर अपने ऊपर से 21 बार उसार कर उसे किसी पवित्र नदी में विसर्जित कर देना चाहिये। ऐसा करने से कालसर्प दोष की शांति हो जाती है। इसकी मेगास्पोरोफील विशेष प्रकार की रचनायें होती हैं। यह रचनायें इसके मादा पौधे के शीर्ष पर जहाँ पत्तियों का मुकुट होता है, वहाँ लगती हैं। यह पत्तियों की डंडियों के उद्गम स्थल से बीच-बीच में निकलती हैं। यह रचनायें एक से सवा फुट तक लम्बी होती हैं तथा इनके शीर्ष साँप के फन के समान दिखाई देते हैं।
मदन मस्त का धार्मिक महत्त्व
> निम्न यंत्र की सायकस के पौधे के नीचे जलाने मात्र से व्यक्ति के कार्य की रुकावटें दूर होने लगती हैं। इस यंत्र को किसी भी दिन एवं शुभ मुहूर्त में बनाया जा सकता है। दक्षिण की तरफ मुख करके एक ऊनी आसन पर बैठकर कोरे कागज पर इस यंत्र को बना लें। इसके लिये लकड़ी के कोयले की स्याही काम में ली जाती है। कोयले को बारीक पीस कर अथवा इसे घिस कर स्याही बनायें। लेखन के लिये किसी भी कलम का प्रयोग किया जा सकता है। यंत्र लेखन के पश्चात् ही इसे सायकस पौधे के नीचे जला दें। कुछ ही समय में आपके सामने आने वाली बाधाओं तथा समस्याओं का अन्त होने लगेगा। यंत्र इस प्रकार है:-
> जिस व्यक्ति को रात्रि में सपने में साँप दिखाई देते हैं, उसे एक मेगास्पोरोफील को अपने सिरहाने रखकर शयन करना चाहिये। ऐसा करने से उसे सपने में साँप दिखना बंद हो जाता है।
मदन मस्त का वास्तु में महत्त्व
इस पौधे का घर की सीमा में होना अत्यन्त शुभ माना गया है। इसे गमलों में भी लगाया जा सकता है।
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- उपयोगी हैं - वृक्ष एवं पौधे
- जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां
- जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां
- तुलसी
- गुलाब
- काली मिर्च
- आंवला
- ब्राह्मी
- जामुन
- सूरजमुखी
- अतीस
- अशोक
- क्रौंच
- अपराजिता
- कचनार
- गेंदा
- निर्मली
- गोरख मुण्डी
- कर्ण फूल
- अनार
- अपामार्ग
- गुंजा
- पलास
- निर्गुण्डी
- चमेली
- नींबू
- लाजवंती
- रुद्राक्ष
- कमल
- हरश्रृंगार
- देवदारु
- अरणी
- पायनस
- गोखरू
- नकछिकनी
- श्वेतार्क
- अमलतास
- काला धतूरा
- गूगल (गुग्गलु)
- कदम्ब
- ईश्वरमूल
- कनक चम्पा
- भोजपत्र
- सफेद कटेली
- सेमल
- केतक (केवड़ा)
- गरुड़ वृक्ष
- मदन मस्त
- बिछु्आ
- रसौंत अथवा दारु हल्दी
- जंगली झाऊ